जयसिंहनगर स्थित आदिवासी कन्या छात्रावास में छात्रा कुंए में गिरी
शहडोल/जयसिंहनगर।(दीपक केवट/भागीरथी केवट) संभागीय मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर जनपद पंचायत जयसिंहनगर स्थित 100 शीटर आदिवासी उत्कृष्ट कन्या छात्रावास की स्थितियां किसी से छिपी नहीं हैं। शुक्रवार की रात्रि लगभग 9.30 बजे एक छात्रा अपने कमरे से बाहर निकलती है और छात्रावास में ही स्थित कुएं में वह गिर जाती है।
यह है पूरा मामला
ग्राम बैरिहा निवासी कुमारी आरती सिंह पिता नोखेलाल सिंह कक्षा 10 वीं की छात्रा है, जो छात्रावास में रहकर अपनी पढ़ाई कर रही थी। वह किन परिस्थितियों में कुंए में गिरी इसका उत्तर तो जांच के बाद ही समाने आ सकेगा। लेकिन अधीक्षिका का ऐसी स्थिति में छात्रावास में न रहना कई सवालों को जन्म देता है। ऐसी भी जानकारी सामने आई है कि अधीक्षिका महीनें में मात्र 10-15 दिन ही छात्रावास में अपने ड्यिूटी देती हैं बाकी समय वे कहा रहती है किसी को नहीं मालुम।आनन-फानन में छात्रावास में अन्य छात्राओं द्वारा जब शोरगुल मचाया गया तो बाहर स्थित दुकानदारों द्वारा छात्रा को बाहर निकाला गया। छात्रा को जैसे ही कुएं से निकाला गया तो उसकी हालत गंभीर होने की वजह से उसे शीघ्र ही समुदायिक स्वास्थ्य में भर्ती कराया गया।
यहां पर उल्लेखनीय पहलू यह भी है कि जब छात्रा की हालत गंभीर थी तो उसे स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया गया तो वहां पदस्थ चिकित्सक एवं कर्मचारियों द्वारा इस घटना की सूचना पुलिस को देना उचित नहीं समझे या फिर कोई और वजह थी, यह बात भी जांच के बाद ही सामने आयेगी कि आखिर इनके द्वारा इस घटना की सूचना पुलिस को क्यों नहीं दी गई।
अब यहां पर यह बात चिंतनीय है कि उक्त छात्रा 9.30 बजे आखिर अपने कमरे से बाहर किस कार्य से निकली और फिर वह कुएं में किन परिस्थितियों में गिर गई। कई बाते हैं जो अनगिनत सवाल खड़ा करती हैं। अपुष्ट सूत्र यह भी बताते हैं कि छात्रा अपने कमरे से निकली तो मोबाईल पर बातें करते करते कुएं में गिर गई। क्या छात्रा की मानसिक दषा ठीक थी या नहीं या फिर कोई और वजह थी कि उसे रात्रि 9.30 बजे बाहर निकलकर मोबाईल पर बात करने को मजबूर । यह बातें तो जांच के बाद ही सामने आयेंगी।
अधिक्षका रही छात्रावास में अनुपस्थित
यह बात भी सोचनीय है कि जिस समय उक्त घटना घटी उस समय अधीक्षिका श्रीमती श्यामवती सिंह वहां पर नहीं थी। आखिर ऐसी कौन सी वजह थी जो कि वह छात्रावास में अनुपस्थित रही। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अधीक्षिका अधिकांष समय छात्रावास में न व्यतीत कर अपने गृह ग्राम में ही रहा करती हैं।
क्या हैं नियम
वर्ष 2018 आदिवासी विकास मंत्री श्री आर्य द्वारा बाणगंगा मेला मैदान में यह घोषणा की गई थी कि कोई भी अक्षीक्षक किसी छात्रावास में तीन वर्ष से ज्यादा नहीं रहेगा। जबकि जयसिंहनगर छात्रावास में पदस्थ अधीक्षिका लगभग 7-8 वर्षों से पदस्थ हैै, क्या इनके ऊपर ये आदेष लागू नहीं होते या फिर उन्हें किसी के आदेष की परवाह नहीं।
