शहडोल पुलिस की बड़ी कार्यवाही, जिले में संचालित माइक्रो फाइनेंस कंपनियों का हुआ पर्दाफाश,1 करोड़ 45 लाख की हुई थी हेरा फेरी
(दीपक केवट - 7898803849)
शहडोल। जिले में संचालित माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के दफ्तरों पर एक साथ शहडोल पुलिस की विभिन्न टीमों द्वारा कार्यवाही की गई। लम्बे समय से जिले के विभिन्न क्षेत्रों से माइक्रो फायनेंस कंपनियों के द्वारा कण वितरण में हेर-फेर की शिकायते प्राप्त हो रही थी। इनमें जिले में संचालित माइक्रो फाइनेंस कंपनी-आरोहण माइक्रो फाइनेंस कंपनी, सोनाटा फाइनेंस, संहिता कम्युनिटी डेवलपमेंट सर्विसेज, एल.एण्ड,टी. आर.बी.एल. फायनेंस, पहल, आशीर्वाद प्रमुख रहे हैं।
पुलिस अधीक्षक शहडोल श्री सत्येन्द्र कुमार शुक्ल के मागदर्शन पर इन कंपनियों पर कार्यवाही हेतु विस्तृत कार्य-योजना तैयार की गई। एक व्यापक रणनीति के तहत की गई इस कार्यवाही में इस मूल अवधारणा को ध्यान में रखा गया कि सभी कंपनियों के दस्तावेजों एवं कार्य प्रक्रिया का एक साथ समग्रता से परीक्षण किये जाने पर स्पष्ट निष्कर्ष बेहतर तौर पर प्राप्त हो सकेंगे शहडोल पुलिस की इस जिला व्यापी कार्यवाही से लगभग 1 करोड़ 45 लाख रूपये की हेरा फेरी के स्पष्ट प्रमाण प्राप्त हुए हैं। करोड़ों रूपये के फर्जीवाड़े के उजागर होने की अभी और संभावना प्रकाश में आई है।
जनवरी 2020 में थाना सोहागपुर में आवेदिका ग्राम गोरतरा निवासी विद्या सिंह के द्वारा अन्य कई महिलाओं के साथ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी कि आरोपीगण लक्ष्मण पनिका, शंकर पनिका, सुनील पनिका, शशिकांत राजपूत एवं विकास द्विवेदी माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के द्वारा हम गरीब-बेसहारा महिलाओं के पास आकर बोले कि शासन की योजना है कि गरीब महिलाओं का समूह बनाकर उनको फाइनेंस कंपनी से कम व्याज दर पर लोन उपलब्ध करायें। गांव की महिलाएं झांसे में आ गई तथा मागे जाने पर उनका आधार कार्ड, वोटर आईडी इन आरोपियों द्वारा ले लिया गया तथा शशिकांत राजपूत निवासी सिंहपुर रोड शहडोल के कियोस्क के माध्यम से बैंक खाता खुलवाये गए थे। ये लोग विकास द्विवेदी निवासी पाण्डवनगर से मिलकर सांठगांठ कर फर्जी आधार कार्ड बनवाकर अलग-अलग फाइनेंस कंपनियों में जमा किये थे और अलग-अलग फायनेस कंपनियों के बैंक से 20 हजार से 30 हजार रूपये निकाला गया। लक्ष्मण पनिका और उसका भाई शंकर पनिका, सुनील पनिका ये सभी शशिकांत राजपूत के कियोस्क सेंटर में हम सबको ले जाकर हमारे खाते से रूपये निकाले थे और निकाले गए रुपये में से 2000 रूपये हमको देते थे और शेष रूपये खुद रख लेते थे और बोलते थे कि फाइनेंस की किश्तों को वे खुद पटा देंगे, हमको नहीं पटाना होगा।