क्षेत्रीय जिला परिवहन अधिकारी ने तहसीलदार शिकायत नोडल अधिकारी (ARO) जिला शहडोल (म.प्र.) को दिया स्पष्टीकरण पत्र
शहडोल। तहसीलदार शिकायत नोडल अधिकारी (ARO) जिला शहडोल (म.प्र.) को क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी ने जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के संबंध में जो कि पत्र क्रमांक/ ना.ना. / 2023 / 402 सोहागपुर दिनांक 02.11.2023 को दिया गया था स्पष्टीकरण पत्र दिया है।
जिला परिवहन अधिकारी ने प्रस्तुत पत्र में शिकायतकर्ता को आरोपित करते हुए उल्लेख किया है कि विषयान्तर्गत लेख है की शिकायतकर्ता स्वयं एक बस संचालक है जो सम्पूर्ण सम्भाग के विभिन्न मार्गो पर बसों का संचालन करते है।
मार्ग कटनी से विजयघोगढ़, मानपुर उमरिया होते हुए गोहपारु, रसमोहनी, जैतपुर, कोतमा मार्ग पर स्वयं का अधिपत्य बताते है। उनका कहना है की उक्त मार्ग पर किसी अन्य को अनुज्ञा पत्र दिया जावेगा तो वो उसका जीना मुश्किल कर देंगे।
परिवहन कार्यालय के लिपिकों को यहां तक धमकी देते है की जिस मार्ग पर उनकी बसे संचालित है उक्त मार्गों पर किसी अन्य बस संचालक को यदि अनुज्ञापत्र दिया गया तो वो फर्जी मामलों व शिकायतों में कर्मचारियों को फंसा देंगे, उनकी पहुंच मन्त्री नेताओं तक है।
जिला कांग्रेस का उपाध्यक्ष गोविन्द प्रसाद साहू मेरा भाई है। शिकायत पत्र में जिन भी व्यक्तियो को अनुज्ञा पत्र जारी करने के सम्बन्ध में उनके द्वारा शिकायत की गई है उनसे अधोहस्ताक्षरकर्ता का कोई सम्बन्ध नही है न ही वो कोई रिश्तेदार है। जहां तक बात प्रांजल पांडेय का है तो वो किसी विधायक के भाई है उक्त बात तो शिकायतकर्ता की शिकायत से ही ज्ञात हुई है।
परिवहन अधिकारी ने पत्र में यह भी बताया गया कि उक्त के अतिरिक्त सभी जारी अनुज्ञा पत्र अस्थाई आवश्यकता हेतु व जन सुविधा के लिये मोटर यान अधिनियम की धारा 87 (1) (सी) के तहत जारी की जाती है, जिससे शासन को राजस्व की भी प्राप्ति होती है आवेदनकर्ता बाकायदे कर व फीस जमा कर अनुज्ञा पत्रों का आवेदन करते है व नियमित प्रक्रिया का पालन करते हुए अनुज्ञा पत्र जारी किये जाते है।
मोटर यान अधिनियम की धारा 80 (2) के तहत कोई भी व्यक्ति कभी भी अनुज्ञा पत्र हेतु आवेदन कर सकता है। जिन व्यक्तियों को प्रदाय अनुज्ञा पत्रों की शिकायत शिकायतकर्ता द्वारा की जा रही है उसका मूल कारण यह है की श्री पांडेय व राकेश सिंह को हाल ही में जारी अनुज्ञा पत्र मार्ग कटनी से कोतमा जो शिकायतकर्ता को जारी अनुज्ञा पत्र के समय चक्र के पर्याप्त समय अन्तराल में जारी किया गया है, परन्तु चुकी उनके अधिपत्य वाले मार्गों पर अनुज्ञा पत्र जारी हुआ है अतः शिकायतकर्ता द्वारा बिना किसी तर्क व साक्ष्य के मनगढ़ंत शिकायत की जा रही है।
उक्त अनुज्ञा पत्रों हेतु आदेश दिनांक 06/10/23 को जारी कर दिये गये थे, तदुपरांत कर राशि जमा होने उपरांत ही पोर्टल पर अनुमोदन किया जाकर अनुज्ञा पत्र प्रिंट किया जाता है।
दिनांक 09/10/23 को उक्त अनुज्ञा पत्र पोर्टल पर अनुमोदित कर प्रिंट किया गया है। उक्त दिनांक को कोई भी ऐसा आदेश प्रभावी ही नहीं था की कोई अस्थाई अनुज्ञा पत्र जारी होने से आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होता है या निर्वाचन प्रभावित होता है। सभी अनुज्ञा पत्र प्रकाशन आदि की सम्पूर्ण प्रक्रिया उपरांत ही जारी किये गये है।
यहां तक की शिकायतकर्ता द्वारा कार्यालय में दी गई आपत्ति का निराकरन करने उपरांत अस्थाई अनुज्ञा पत्र जारी किया गया है।
माननीय उच्च न्यायालय द्वारा ओम प्रकाश बनाम मुख्य चुनाव अधिकारी एवं अन्य AIR 2009 में यह मत पूर्व से ही यह मत प्रतिपादित किया जा चूका है की कोई अनुज्ञा पत्र जारी होने से आदर्श अचार संहिता का उल्लंघन नही होता है। कोई भी अनुज्ञा पत्र न्यायिक प्रक्रिया के तहत जारी होते है। किसी भी व्यक्ति के पास किसी अनुज्ञा पत्र को जारी किये गये आदेश के विरूध माननीय State transport appeal tribunal के समक्ष अपील अथवा रिवीजन के अधिकार है।
शिकायत के शेष भाग का निर्वाचन से कोई अर्थ प्रतीत नहीं होता है। सम्पूर्ण शिकायत निराधार मनगढ़ंत व स्वयं के नाजायज स्वार्थो को पूर्ण करने मात्र माननीय आयोग के समक्ष अपने स्वार्थ साधने के लिये सामान्य सी बात को निर्वाचन को प्रभावित करने की शिकायत का स्वरूप देने का कार्य किया गया है जबकि उक्त हेतु उनके पास वैधानिक विकल्प है।
जिला परिवहन अधिकारी ने स्पष्टीकरण पत्र में बताया कि पदस्थापना के संबंध में लेख है कि अधोहस्ताक्षरकर्ता की पदस्थापना मूलत क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी शहडोल के रूप में दिनांक 29.09.2018 को की गई थी तदुपरांत म.प्र. शासन परिवहन विभाग के आदेश क्रमांक 1898/886211/ 2022/ आठ भोपाल दिनांक 04.10.2022 द्वारा अधोहस्ताक्षरकर्ता की पदस्थापना सीधी में जिला परिवहन अधिकारी के पद पर कर दी गई तथा उक्त आदेश से ही अधोहस्ताक्षरकर्ता को क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय शहडोल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है जो अनवरत है।
शासन द्वारा यथा उचित नियमों के तहत ही उक्त पदस्थापना की गई होगी। शिकायतकर्ता की शिकायत निराधार है व व्यक्तिगत द्वेष भावना से की गई है। (आदेश की प्रति संलग्न है।