बोरी बंधन द्वारा ग्रामीण जल संरक्षण के साथ कृषि आमदनी में कर रहे बढ़ोतरी, रिलायंस फाउंडेशन का सतत सहयोग

बोरी बंधन द्वारा ग्रामीण जल संरक्षण के साथ कृषि आमदनी में कर रहे बढ़ोतरी, रिलायंस फाउंडेशन का सतत सहयोग




भूजल स्तर का गिरना विभिन्न कारणों से पूरे भारत में चिंता का विषय है। पिछले दशकों में नवीनतम तकनीकों की मदद से भूजल के अत्यधिक उपयोग और दोहन ने भूजल को समाप्ति के कगार पर खड़ा कर दिया है जिससे औद्योगिक और कृषि उपयोग के लिए जल की उपलब्धता काफी कम हो गई है। इससे सिंचाई प्रणाली और कृषि उत्पादकता प्रभावित हुई है क्योंकि फसलों की सिंचाई के लिए आवश्यकता से पानी कम है।

वर्षा जल भूजल को रिचार्ज करने का प्रमुख स्रोत है, लेकिन पानी को धारण करने वाली संरचनाओं की अनुपलब्ध्ता के कारण, अधिकांश वर्षा जल नदियों में और फिर महासागरों में बह जाता है जिसके कारण भूजल संरक्षण दिन प्रतिदिन कम ही हो रहा। सूखे या कम वर्षा वाले वर्ष के दौरान यह स्थिति और भी खराब हो जाती है क्योंकि उस समय भूजल का प्राकृतिक पुनर्भरण भी नहीं होता है। इस चुनौती का समाधान जल धाराओं पर लागत प्रभावी और सरल संरचनाओं का निर्माण करना है जिससे वर्षा जल को रोक कर अथवा उसके प्रवाह को कम कर भूमि के अंदर रिचार्ज का मार्ग प्रसस्त हो। ये संरचनाएं पानी को नदियों में बहने से रोकती हैं और भूजल को रिचार्ज करने में मदद करती हैं।

बोरी बंधन घटते भूजल संसाधनों की समस्या का एक सरल समाधान

बोरी बंधन एक ऐसी जल संचयन संरचना है जिसे स्थानीय ग्राम धाराओं पर बनाया जा सकता है।बोरी बंधन घटते भूजल संसाधनों की समस्या का एक सरल, आर्थिक, व्यवहार्य और अत्यधिक प्रभावी समाधान है। इस विधि में बालू से भरी प्लास्टिक की थैलियों से बनी चारदीवारी के अंदर वर्षा के पानी को रोक कर  नहरों और नदियों में जाने से रोका जाता है।  रुका हुआ वर्षा जल फिर धीरे-धीरे भूजल को रिचार्ज करता है। प्लास्टिक के थैले काफी सस्ते होते हैं और बाजार में उपलब्ध होते हैं, इसलिए गरीब से गरीब किसान भी बारिश के पानी की बर्बादी को रोकने और भूजल संसाधनों के स्तर को ऊपर उठाने के लिए इस पद्धति को अपना सकते हैं।

रिलायंस फाउंडेशन विभिन्न गतिविधियों के द्वारा जल संरक्षण संवर्धन के लिए प्रयासरत है, जिससे केवल मानव उपयोग के लिए जल उपलब्धता सुनिश्चित हो सके बल्कि खेती, पशुवों के पीने हेतु भी जल  तथा भूजल स्तर में भी वृद्धि हो. सतत विकास के लिए समुदाय का विकासात्मक कार्यक्रमों को अपनाना नितांत आवश्यक है. बोरी बंधन एक ऐसी पहल है जिसमे समुदाय का सहयोग महती भूमिका निभाता है. रिलायंस फाउंडेशन ने अपने सी.बी.एम.-सी.एस.आर. परियोजना अंतर्गत बोरी बंधन को समुदाय के बीच प्रचारित प्रसारित करने का कार्य किया जिससे विगत कुछ वर्षों में समुदाय में  गतिविधि को लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिला है। इस पहल से कृषि उद्देश्यों के लिए पानी की उपलब्धता में वृद्धि हुई है। यह पहल सीबीएम क्षेत्र में पानी की एक बूंद भी बर्बाद नहीं करने की रिलायंस फाउंडेशन की प्रतिबद्धता की मिशाल है।  अगर हम विगत कुछ वर्षों  नजर डालें तो सिद्ध होता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बोरी बंधन को लेकर ग्रामीणों के उत्साह में उत्तरोत्तर वृद्धि ही हुई है. अभियान की सफलता का अंदाजा इस तरह की संरचनाओं की संख्या और इसके कारण निर्मित जल संचयन क्षमता से लगाया जा सकता है। वर्ष 2019 के दौरान कुल 25 ऐसी संरचनाएं शहडोल और कोतमा के 13 गांवों में बनाई गईं, जिससे 96946 घन मीटर जल संचयन क्षमता स्थापित हुई। इस जल संचयन से रबी के दौरान 158 से अधिक किसानों के 134 एकड़ कृषि क्षेत्र में पहली बार फसल हुई।इसके अलावा घरेलु उपयोग हेतु पशुधन के लिए भी जल की उपलब्धता सुनिश्चित हुई.  इस सफलता से उत्साहित ग्रामीणों ने 2020 के दौरान 51 संरचनाएं बनायीं जिससे 3 लाख 35 हज़ार घन मीटर संरक्षित होने के साथ 439 किसानों के 536 एकड़ कृषि भूमि में रबी की फसल ली गयी.पिछले दो वर्षों की सफलता को देखते हुए इस वर्ष भी बोरी बंधन को रिलायंस ने बढ़ावा दिया है। इस वर्ष 34 गांवों में कुल 76 बोरी बंधन संरचनाएं बनाई गईं जिससे 400 से ज्यादा किसानों की 500 एकड़ का एक बड़ा क्षेत्र सिंचाई और कृषि उपज के मामले में सकारात्मक और महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित हुआ है। इन बोरी बंधन संरचनाओं के माध्यम से 5 लाख 87 हज़ार घन मीटर पानी संरक्षित हुई। चूंकि बोरी बंधन का एक प्रमुख उद्देश्य किसानों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है, इसलिए सहभागी दृष्टिकोण अपनाया गया जिसमें समुदाय के सदस्यों और किसानों ने इन गतिविधियों को पूरा करने के लिए अपने श्रम का योगदान दिया।यह केवल सामुदायिक प्रयासों के माध्यम से बहुत बड़ी उपलब्धि है।आर्थिक आकड़ो की बात करें तो लगभग 1.5 करोड़ रुपये की अतिरिक्त फसल का उत्पादन इस गतिविधि से इन वर्षों के दौरान हुई है जो की कृषकों की आमदनी को बढ़ाने दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. विशेषकर भूजल संरक्षण के लिए समुदाय का उत्साह प्रशंसनीय है. ग्रामीणों ने 2000 वेज दिवस कार्य किया जिसका मोनेटरी मूल्य लगभग 4 लाख रुपये है. बोरी बंधन की सफलता को देख इस क्षेत्र में इसकी असीम संभावनाओं को स्थानीय ग्राम पंचायतों ने भी समझा तथा रिलायंस फाउंडेशन एवं ग्रामीणों का भरपूर सहयोग किया. बोरी बंधन की सफलता के बारे में बोलते हुए, सीएसआर प्रमुख राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि रिलायंस फाउंडेशन ने हमेशा विकास हस्तक्षेपों की स्थिरता के लिए समुदाय को स्वामित्व हस्तांतरित करने का प्रयास किया है।उन्होंने बताया कि जल संरक्षण में सुधार के साथ-साथ बोरी बंधन सामुदायिक संस्थाओं और ग्राम एकीकरण के लिए मजबूत एकीकरणकर्ता है रिलायंस फाउंडेशन के प्रयास से ग्रामीणों में विकास के प्रति जागरूकता काफी बढ़ी है जिसकी बानगी बोरी बंधन के सफलता से देखने मिल रही. 

 

पिछले कुछ वर्षों में हमारे ग्रामीणों ने सैकड़ों बोरी बंधन संरचनाएं बनाकर अद्भुत काम किया है जिसके परिणामस्वरूप फसल क्षेत्र में वृद्धि हुई है और कृषि आय में सुधार हुआ है।साथ ही लाखों घन मीटर वर्षा जल का संरक्षण भी हुआ है जो क्षेत्र के जल उपलब्धता के लिए अत्यावश्यक है. रिलायंस फाउंडेशन के मार्गदर्शन में हम साल दर साल इस महान पहल को चला रहे हैं और हर साल नई सफलताएं मिल रही है.

  दारा सिंह, धुरियाडोल

बोरी बंधन के द्वारा जल संरक्षित कर अब मै अपने बंजर परे खेतो में भी फसल ले पा रहा हूँ. रिलायंस फाउंडेशन के सतत सहयोग से हम किसान अब खुद इस सरल तकनीक को अपना कर खेती आजीविका के अन्य साधनों को विकसित करने में सफल हुए हैं.

कोमल सिंह, कामरानटोला

 

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