गुड फ्राइडे प्रभु यीशु मसीह का बलिदान एवं करुणा का महापर्व - डॉ क्रिस्टी अब्राहम
शहडोल | गुड फ्राइडे मानव इतिहास का एक महान शांति का पर्व है जो कि प्रभु यीशु मसीह के त्याग, बलिदान, प्रेम एवं मानवता को समर्पित एक दिव्य संदेश है यह दिन उपवास एवं प्रायश्चित का दिन है, यह पर्व ईसाई धर्मावलंबियों द्वारा बनाए जाने वाले विश्व में सद्भाव, प्रेम, प्रार्थना एवं प्रभु के प्रति समर्पण भाव के साथ मनाया जाता है इस दिन प्रभु यीशु मसीह के क्रूस पर चढ़कर सहर्ष भावी मानवता को प्रेम, त्याग, क्षमा, बलिदान, करुणा, दया की भावना का दिव्य संदेश दिया था।
यह दिन उपवास एवं प्रायश्चित का दिन है प्रभु यीशु मसीह का बलिदान या दर्शाता है कि परमेश्वर प्रेमी व अनुग्रह कारी है जो मनुष्य को उसके कामों के लिए दंड नहीं देता बल्कि क्षमा करके अपने निकट आने का शुभ अवसर देता है इस संदेश को प्रभु ने स्वयं अपने लहू से लिखा है प्रभु यह स्पष्ट करते हैं कि अज्ञानता एवं बुराई के बावजूद मनुष्य को वह अपनी संतान की तरह असीम प्रेम करते हैं प्रभु का मानवता के प्रति असीम प्रेम व त्याग को समर्पित यह शांति का पर्व गुड फ्राइडे का संदेश भी देता कि प्रेम क्षमाशील होता है वह सब को अपने में समा लेता है इससे प्रतिकार वह बदला लेने की भावना कदापि नहीं होती प्रेम किसी का कभी बुरा नहीं चाहता प्रेम सामर्थ्य होता है इस पर्व के दिन हमको परमेश्वर के प्रति पूरी कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए यीशु मसीह ने अपना पूरा लहू मानव जाति के उद्धार के लिए बहाया और हमारा उद्धार किया, पाप और मृत्यु के बंधनों से छुटकारा दिलाया बाईबल में लिखा है की सेवा करने वाले हमेशा शांति में रहते हैं प्रभु यीशु मसीह ने कहा यह मेरा लहू है जो बहुतो के पाप क्षमा करने के लिए बहाया जा रहा है यह लहू जीवन का स्त्रोत है मुक्ति का साधन है और सबसे मूल्यवान है।
प्रभु यीशु मसीह के बलिदान दिवस को विश्व के ईसाई धर्मावलंबियों द्वारा आज के दिन विशेष प्रार्थना की जाती है और प्रभु यीशु मसीह की मृत्यु होने के पूर्व कहे गए इन साथ अनमोल वचनो को स्मरण कर मनन चिंतन किया जाता है, 1- हे पिता इन्हें क्षमा कर यह नहीं जानते कि यह क्या कर रहे हैं, 2- आज तू भी मेरे साथ स्वर्ग लोक में होगा, 3- हे नारी यह तेरा पुत्र है, 4- हे मेरे परमेश्वर हे मेरे परमेश्वर तूने मुझे क्यों छोड़ दिया,5- मैं प्यासा हूं, 6- तब यीशु ने कहा पूरा हुआ, 7- है पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सोपता हूं। इन साथ अनमोल वचनों पर विश्व के तमाम ईसाई धर्मावलंबियो द्वारा विशेष प्रार्थना करते हैं और आज के दिन पूरे विश्व में भव्य जुलूस एवं झांकियां निकाली जाती है इसी तारतम्य में शहडोल में भी भव्य जुलूस एवं झाकियां निकली जाती थी। परंतु आज पूरा विश्व कोविड-19 कोरोनावायरस से त्रस्त है और इस महामारी से लड़ाई लड़ रहा है। इसलिए भारत सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए उनके प्रोटोकॉल को ध्यान में रखकर मात्र चर्च में ही आराधना और स्तुति किया जाएगा किसी भी प्रकार का कहीं भी कोई भी जुलूस व झांकी झांकियां नहीं निकाली जाएगी।
